300 साल पुरानी गेहूं की जंगली किस्म, दुनिया की भूख मिटाने में कैसे मददगार
300 साल पुरानी गेहूं की जंगली किस्म, दुनिया की भूख मिटाने में कैसे मददगार
आज के दौर में जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी और खाद्यान्न संकट से जूझ रही है, ऐसे में वैज्ञानिकों की नजर गेहूं की कुछ जंगली और पुरानी किस्मों पर है। ये किस्में शायद उन समस्याओं का समाधान कर सकती हैं जिनसे आधुनिक गेहूं की फसलें जूझ रही हैं। नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के 300 साल पुराने संग्रह में संरक्षित गेहूं के नमूने, आधुनिक गेहूं की किस्मों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।
आइए समझते हैं कि इन पुरानी किस्मों का क्या महत्व है और ये दुनिया की भूख मिटाने में कैसे मददगार हो सकती हैं।
गेहूं क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
गेहूं दुनिया की सबसे अहम फसलों में से एक है।
- यह ब्रेड, पास्ता, केक और अन्य भोजन का मुख्य आधार है।
- पूरी दुनिया में करोड़ों लोग इसे अपने आहार का हिस्सा बनाते हैं।
- बढ़ती आबादी और बदलते मौसम के कारण गेहूं की पैदावार पर दबाव लगातार बढ़ रहा है।
वर्तमान समस्याएं:
- जलवायु परिवर्तन:
- बढ़ते तापमान और असामान्य मौसम गेहूं की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।
- वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर वैश्विक तापमान में 1°C की वृद्धि होती है, तो गेहूं की पैदावार में 6.4% तक की कमी आ सकती है।
- कीट और बीमारियां:
- गेहूं की फसल हर साल बीमारियों और कीटों के कारण 20% तक कम हो सकती है।
- वैश्विक आपूर्ति संकट:
- रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की वैश्विक सप्लाई प्रभावित हुई है।
गेहूं की पुरानी किस्मों की भूमिका
नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में संरक्षित गेहूं की 12,000 से अधिक किस्में वैज्ञानिकों के लिए एक खजाने के समान हैं।
- इनमें से कुछ किस्में 1700 ईस्वी की हैं।
- इनमें वे किस्में भी शामिल हैं जो कृत्रिम उर्वरकों और आधुनिक कृषि तकनीकों के विकसित होने से पहले जंगली रूप में उगती थीं।
जंगली किस्मों की विशेषताएं:
- साहसी और कठोर:
ये किस्में कठिन परिस्थितियों में भी उग सकती हैं। - रोग प्रतिरोधक क्षमता:
इन किस्मों में कई बीमारियों के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है। - कम संसाधनों में बेहतर परिणाम:
ये फसलें कम पानी और उर्वरक में भी बेहतर उत्पादन कर सकती हैं।
वैज्ञानिकों की खोज और प्रयास
जीन सिक्वेंसिंग:
गेहूं की पुरानी किस्मों का जीन सिक्वेंसिंग किया जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें कौन-से अनुवांशिक गुण आधुनिक फसलों में जोड़े जा सकते हैं।
क्रॉस-ब्रीडिंग:
- जॉन इनस सेंटर के वैज्ञानिक गेहूं की पुरानी और आधुनिक किस्मों के बीच क्रॉस-ब्रीडिंग कर रहे हैं।
- इसका उद्देश्य अधिक पैदावार और प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्में विकसित करना है।
जीन एडिटिंग:
जीन एडिटिंग तकनीक का उपयोग करके गेहूं की जीन संरचना में बदलाव किया जा रहा है ताकि यह बदलते मौसम में उगने में सक्षम हो।
गेहूं की जंगली किस्में और बीमारियों से लड़ाई
येलो रस्ट बीमारी:
- गेहूं की फसलों के लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक येलो रस्ट (पीला रतुआ) है।
- जंगली गेहूं की किस्मों में इस बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है।
- वैज्ञानिक इन्हीं गुणों का उपयोग करके आधुनिक किस्में विकसित करने पर काम कर रहे हैं।
कम पोषक तत्व वाली मिट्टी में उगने की क्षमता:
जंगली गेहूं की किस्में ऐसी मिट्टी में उग सकती हैं, जहां पोषक तत्वों की कमी हो। इससे विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा मजबूत हो सकती है।
गेहूं की पौष्टिकता बढ़ाने की संभावनाएं
गेहूं सिर्फ कैलोरी का स्रोत नहीं है; यह स्वास्थ्य के लिए जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करता है।
- वैज्ञानिक गेहूं में फाइबर, मिनरल्स और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।
- इसका उद्देश्य एक ऐसा गेहूं विकसित करना है जो अधिक पौष्टिक हो।
भविष्य के लिए संभावनाएं
- अधिक पैदावार:
- 2050 तक दुनिया की आबादी के लिए 60% अधिक गेहूं की जरूरत होगी।
- नई किस्मों की मदद से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
- कठिन परिस्थितियों में उगाने की क्षमता:
- वैज्ञानिक ऐसी किस्में विकसित कर रहे हैं जो अत्यधिक गर्मी और सूखे में भी उग सकें।
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा:
- ये नई किस्में उन देशों में भूखमरी की समस्या को कम कर सकती हैं जहां खेती मुश्किल है।
गेहूं के अतीत में भविष्य की खोज
डॉ. मैथ्यू क्लार्क का कहना है कि गेहूं की पुरानी किस्में हमें वह गुमशुदा विविधता वापस दिला सकती हैं जिसे हमने आधुनिक कृषि में खो दिया है।
- ये किस्में न केवल जलवायु परिवर्तन और बीमारियों से लड़ने में मदद करेंगी, बल्कि खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेंगी।
गेहूं की पुरानी और जंगली किस्में हमारे भविष्य के लिए आशा की किरण हैं।
- ये फसलें कठोर परिस्थितियों में उगने की क्षमता रखती हैं।
- इनके अनुवांशिक गुण आधुनिक किस्मों को मजबूत बना सकते हैं।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अतीत की इन फसलों का अध्ययन और उपयोग करके हम न केवल बदलते पर्यावरण के साथ तालमेल बिठा सकेंगे, बल्कि दुनिया की भूख मिटाने की दिशा में भी बड़ा कदम उठा सकेंगे।
“गेहूं की ये जंगली किस्में एक बार फिर साबित कर सकती हैं कि प्रकृति के पास हर समस्या का समाधान है, बस हमें इसे पहचानने की जरूरत है।”