
अम्बानी बड़े अब्बा जैसे आप भी होंगे मालामाल कड़कनाथ दिलाएगा कड़क पैसा, बस करना होगा ये काम
अगर आप मुर्गी पालन से लाखों कमाने का सपना देख रहे हैं, तो कड़कनाथ मुर्गे का पालन आपके लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। यह खास नस्ल आजकल बाजार में इतनी डिमांड में है कि इसे लोग एटीएम की तरह मानते हैं – जरूरत पड़ी तो बेचो और पैसे लो!
कड़कनाथ की कहानी और खासियत
मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिलों में पाई जाने वाली कड़कनाथ नस्ल का पालन वहां के भील-भिलाला आदिवासी समुदाय सदियों से करते आ रहे हैं। भारत सरकार ने इस नस्ल को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग भी दिया है।
क्या है इसकी खासियत?
- काले रंग की यूनिक पहचान: कड़कनाथ के चोंच, पंख, शरीर और मांस तक सब काले होते हैं। इसकी ये खासियत इसे बाकी मुर्गों से अलग बनाती है।
- हाई प्रोटीन: इसके मांस में 25% तक प्रोटीन होता है, जबकि बाकी मुर्गों में 18-20% ही होता है।
- लो कोलेस्ट्रॉल: इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल बेहद कम होता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
- आयरन से भरपूर: गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के लिए इसे बेहतरीन माना जाता है।
- दमदार अंडे: इसके अंडे 20-30 रुपये प्रति पीस बाजार में बिकते हैं।
कैसे करें कड़कनाथ का पालन?
बैकयार्ड पोल्ट्री के लिए परफेक्ट
कड़कनाथ मुर्गे को घर के आसपास की जगह और किचन के वेस्ट से आसानी से पाला जा सकता है। यह घर के आंगन में मिलने वाले कीड़े-मकौड़े और बचा हुआ खाना खाकर भी बढ़िया ग्रोथ कर लेता है।
सावधानियां रखें:
- पोल्ट्री हाउस की जगह: ऊंचाई पर और पानी इकट्ठा न होने वाली जगह चुनें।
- साफ-सफाई: पोल्ट्री हाउस को चूने से पुताई करें और इसे कीट-मुक्त रखें।
- चूजे: सरकारी संस्थानों से खरीदे, जहां पहले से टीकाकरण हो।
तापमान का ध्यान रखें:
पोल्ट्री हाउस में 32-35 डिग्री तापमान बनाए रखें। ठंड लगने पर लाइट नीचे करें और गर्मी ज्यादा हो तो ऊपर की ओर।
भोजन का ख्याल:
शुरुआत में चूजों को शक्कर का घोल और विटामिन्स दें। पहले हफ्ते में इलेक्ट्रोलाइट्स और बी-कॉम्प्लेक्स देने से उनकी मृत्यु दर 50% से घट जाती है।
कमाई: एटीएम से कम नहीं
कड़कनाथ के 4-5 महीने में ही डेढ़ से दो किलो वजन के हो जाने पर बाजार में इसे 1000 रुपये किलो तक बेचा जा सकता है। इसकी कीमत और डिमांड इसे मुर्गी पालन में एक प्रॉफिटेबल इन्वेस्टमेंट बनाती है।
तो देर किस बात की? कड़कनाथ को पालें, पैसे कमाएं और इसे अपने “चिकन बैंक” में बदल दें!