
किसानों के लिए खतरा: नकली खाद बेच रही ये कंपनियाँ, जानिए नाम, कार्रवाई और कैसे बचें इस धोखाधड़ी से
किसानों के लिए खतरा: नकली खाद बेच रही ये कंपनियाँ, जानिए नाम, कार्रवाई और कैसे बचें इस धोखाधड़ी से
देश के किसानों के साथ एक और बड़ा धोखा सामने आया है। राजस्थान सहित कई राज्यों में लंबे समय से नकली खाद का काला कारोबार चल रहा था, जिसका पर्दाफाश अब हुआ है। यह लेख आपको इस पूरे मामले की गहराई से जानकारी देगा – कौन सी कंपनियां इसमें शामिल थीं, उन पर क्या कार्रवाई हुई है, और किसान इस तरह की धोखाधड़ी से कैसे बच सकते हैं।
खेती में खाद का महत्व
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की बड़ी आबादी आज भी खेती पर निर्भर करती है। खेती को उपजाऊ और लाभदायक बनाने के लिए किसान विभिन्न प्रकार की खादों का उपयोग करते हैं। ये खादें फसलों की पैदावार बढ़ाने में मदद करती हैं। लेकिन यदि खाद नकली हो तो न केवल फसलें खराब होती हैं बल्कि किसान की मेहनत, समय और पैसा भी बर्बाद हो जाता है।
क्या है नकली खाद का मामला?
राजस्थान के कृषि विभाग की टीमों ने हाल ही में जांच के दौरान पाया कि राज्य में कई कंपनियां पिछले 5 से 10 सालों से नकली खाद बेच रही थीं। ये कंपनियां खाद की गुणवत्ता में मिलावट कर किसानों को घटिया उत्पाद बेच रही थीं। किसानों को असली खाद के नाम पर नकली रसायन दिए जा रहे थे, जिससे उनकी फसलें बर्बाद हो रही थीं।
राजस्थान सरकार की जांच में 14 कंपनियों को सीज कर दिया गया है और 10 कंपनियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें कुछ नामी बायो-फर्टिलाइजर और कैमिकल कंपनियां भी शामिल हैं।
नकली खाद बेचने वाली कंपनियों के नाम
जांच में जिन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है, उनके नाम नीचे दिए गए हैं:
- मंगलदीप बायो फर्टिलाइजर एंड कैमिकल
- ट्रॉपिकल एग्रो सिस्टम इंडिया
- अराघव एग्रो इंडस्ट्री
- श्री गोवर्धन एग्रो
- दिव्या एग्रो फूड इंडस्ट्री
- श्री एग्रो
- राधिका बायो फर्टिलाइजर प्राइवेट लिमिटेड
- ग्रीन एग्रो इंडस्ट्री
- सत्वम एग्रो
- अरावली फर्टिलाइजर
- तिशय बायोटेक इंडस्ट्री इंडिया
इनमें से अधिकांश कंपनियों ने पिछले कई वर्षों से किसानों को नकली खाद बेचकर करोड़ों रुपये कमाए हैं। जांच में पता चला है कि ये कंपनियाँ खाद की गुणवत्ता का कोई मानक पालन नहीं कर रही थीं।
इन कंपनियों पर क्या कार्रवाई हुई?
- 14 कंपनियों को सीज किया गया है – यानी उनके प्लांट्स पर ताले लगा दिए गए हैं और उत्पादन बंद कर दिया गया है।
- 10 कंपनियों पर एफआईआर दर्ज की गई है।
- कई कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं।
- कुछ सरकारी अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है जो इन कंपनियों को बचाते रहे।
राज्य सरकार का कहना है कि इन कंपनियों को चार महीने के भीतर सख्त सजा दी जाएगी और किसानों को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं उठानी पड़ेगी।
सिर्फ राजस्थान नहीं, कई राज्यों में फैला है नेटवर्क
यह समस्या केवल राजस्थान तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के 16 राज्यों में नकली खाद की सप्लाई हो रही थी। दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी इन कंपनियों ने अपनी जड़ें फैलाई थीं।
दिल्ली और तमिलनाडु की कुछ कंपनियों को भी इस मामले में संदिग्ध पाया गया है। इन राज्यों में भी जांच शुरू हो गई है।
नकली खाद से किसानों को होने वाले नुकसान
- फसल बर्बाद होना – नकली खाद पौधों को जरूरी पोषक तत्व नहीं देती, जिससे फसल कमजोर या नष्ट हो जाती है।
- आर्थिक नुकसान – किसान महंगी खाद खरीदते हैं लेकिन जब फसल खराब हो जाती है, तो उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ती है।
- भूमि की उर्वरता पर असर – नकली खाद में मौजूद रसायन मिट्टी की उर्वरकता को कम कर देते हैं।
- भविष्य की फसलें भी प्रभावित होती हैं – एक बार जमीन में मिलावट हो गई तो उसका असर सालों तक रहता है।
किसान कैसे पहचानें नकली खाद?
नकली खाद को पहचानने के लिए किसान इन बातों का ध्यान रखें:
- पैकिंग की जांच करें – असली खाद पर हमेशा बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट और BIS मार्क होता है।
- कैमिकल की गंध – नकली खाद में बदबू या गाढ़ा रंग हो सकता है।
- सरकारी रजिस्ट्रेशन नंबर – खाद की बोरी या बोतल पर सरकार से प्राप्त लाइसेंस नंबर लिखा होना चाहिए।
- रसीद जरूर लें – किसी भी दुकान से खाद खरीदते वक्त बिल जरूर लें ताकि शिकायत के समय सबूत हो।
- किसी भी अनजान ब्रांड से न खरीदें – हमेशा जानी-मानी कंपनियों की ही खाद का उपयोग करें।
सरकार की ओर से किसानों के लिए सलाह
राजस्थान सरकार और कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे केवल रजिस्टर्ड विक्रेताओं से खाद खरीदें। किसी भी प्रकार की संदेहास्पद खाद की जानकारी तुरंत नजदीकी कृषि अधिकारी को दें।
इसके अलावा, किसान कृषि विभाग की हेल्पलाइन पर कॉल करके खाद की गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
किसानों की प्रतिक्रिया
राजस्थान के कई जिलों में जब यह खबर फैली कि वे जिन खादों का उपयोग सालों से कर रहे थे, वे नकली थीं, तो गुस्सा और निराशा स्वाभाविक था। कई किसान संगठनों ने मांग की है कि इन कंपनियों को सिर्फ जुर्माना नहीं, बल्कि जेल की सजा दी जाए और किसानों को मुआवजा मिले।
केंद्र सरकार का क्या कदम?
केंद्र सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और सभी राज्यों के कृषि विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे खाद कंपनियों की गुणवत्ता की जांच करें। इसके लिए एक पैन इंडिया क्वालिटी ऑडिट अभियान शुरू किया गया है।
यह घटना किसानों के लिए एक बड़ा सबक है। खेती करने वाला किसान सालों की मेहनत से अपने खेत में फसल उगाता है और यदि उसमें उपयोग की जाने वाली खाद ही नकली हो तो उसकी पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती है। सरकार और किसानों दोनों को मिलकर इस तरह की धोखाधड़ी को जड़ से खत्म करना होगा।
अगर आप भी किसान हैं, तो इस जानकारी को अपने गाँव, पंचायत और किसान मित्रों के साथ साझा करें। जागरूकता ही बचाव है। नकली खाद से सतर्क रहें, असली उर्वरक का ही उपयोग करें और किसी भी संदेह की स्थिति में तत्काल शिकायत करें।
यदि आप चाहें तो कृषि विभाग की वेबसाइट या कृषि हेल्पलाइन नंबर से खाद की प्रमाणिकता की जांच करवा सकते हैं।