किसानों को घर पर ही मिलेंगी खादें: मुख्यमंत्री की खाद-उर्वरक समीक्षा बैठक में लिए गए बड़े फैसले

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किसानों को घर पर ही मिलेंगी खादें: मुख्यमंत्री की खाद-उर्वरक समीक्षा बैठक में लिए गए बड़े फैसले

मध्य प्रदेश सरकार ने खरीफ सीजन 2025 के दौरान किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब किसानों को खाद, विशेषकर यूरिया और डीएपी, उनकी जरूरत के अनुसार सीधे उनके घर तक पहुँचाई जाएगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रालय में आयोजित खाद-उर्वरक की समीक्षा बैठक के बाद लिया गया। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य किसानों को समय पर और बिना किसी कठिनाई के उर्वरक उपलब्ध कराना है, ताकि खेती की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती रहे।

खरीफ सीजन और खाद की मांग:

हर वर्ष खरीफ की फसल के दौरान यूरिया, डीएपी और अन्य उर्वरकों की भारी मांग होती है। यदि ये खाद समय पर न मिले, तो फसलों की उत्पादकता पर असर पड़ता है और किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने इस बार समय से पहले ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि किसानों को सुविधाजनक और व्यवस्थित ढंग से खाद उपलब्ध कराई जाए।

समीक्षा बैठक की मुख्य बातें:

  • रैक और वितरण व्यवस्था: मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले सात दिनों में जिन जिलों में उर्वरकों की आवश्यकता है, वहां आने वाले रैक की पूरी जानकारी का प्रचार किया जाए। ताकि किसान जान सकें कि खाद कब और कहाँ उपलब्ध होगी।
  • भंडारण और वितरण: विपणन संघ और पैक्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे तय अनुपात में खाद का भंडारण करें और किसानों की भीड़ को संभालने के लिए अतिरिक्त काउंटर लगाए जाएं।
  • कालाबाजारी पर सख्ती: मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि अनुदानित दरों पर मिलने वाले यूरिया का दुरुपयोग रोकना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए कालाबाजारी, अवैध भंडारण, टैगिंग, मिस ब्रांडिंग, और अवैध परिवहन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

अनुदानित यूरिया के दुरुपयोग पर कार्रवाई:

सरकार ने यह पाया है कि यूरिया का उपयोग कृषि के अलावा अन्य क्षेत्रों में जैसे कि पशु आहार, पोल्ट्री फीड, पेंट, प्लाईवुड, रेसिन, शराब निर्माण आदि में किया जा रहा है। इन सभी गैर-कृषि गतिविधियों में यूरिया का इस्तेमाल अवैध है और इससे असली किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि:

  • डबल लॉक केंद्रों और निजी विक्रय केंद्रों की आकस्मिक जांच की जाए।
  • अनुदानित यूरिया पाए जाने पर तुरंत एफ.आई.आर. दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाए।
  • जिलाधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

नैनो यूरिया को मिलेगा बढ़ावा:

मुख्यमंत्री ने नैनो यूरिया के उपयोग को भी बढ़ावा देने पर जोर दिया। नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया की तुलना में कम मात्रा में अधिक प्रभावी होता है और इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है। इसका उपयोग न केवल लागत को कम करेगा बल्कि अनुदानित यूरिया पर निर्भरता को भी घटाएगा।

घर-घर खाद पहुंचाने की योजना:
सबसे महत्वपूर्ण निर्णय यह रहा कि सरकार अब किसानों को उनकी आवश्यकता अनुसार खाद उनके घर तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। इससे निम्नलिखित फायदे होंगे:

  • किसानों को लंबी कतारों में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • बुजुर्ग या शारीरिक रूप से असमर्थ किसान भी खाद आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।
  • खाद वितरण में पारदर्शिता आएगी और दुरुपयोग रुकेगा।
  • काला बाजारी और बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी।

अब तक की गई कार्रवाई:
बैठक में बताया गया कि उर्वरकों की कालाबाजारी और अवैध परिवहन के मामलों में अब तक:

  • 30 एफ.आई.आर. दर्ज की गईं हैं।
  • 56 विक्रय लाइसेंस निरस्त किए गए।
  • 70 लाइसेंस निलंबित हुए हैं।
  • 188 विक्रेताओं पर विक्रय प्रतिबंध लगाया गया है।

किसानों से अपील:
सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे:

  • केवल अधिकृत विक्रय केंद्रों से ही उर्वरक खरीदें।
  • अपनी भूमि की जरूरत के अनुसार ही खाद लें।
  • किसी भी अनियमितता की स्थिति में तुरंत प्रशासन को सूचना दें।

मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम निश्चित ही किसानों के हित में है। खाद की घर पहुंच सेवा न केवल किसानों की मेहनत और समय की बचत करेगी बल्कि सिस्टम को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह भी बनाएगी। मुख्यमंत्री द्वारा खाद-उर्वरक की समीक्षा कर अधिकारियों को दिए गए निर्देश यह दिखाते हैं कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर है और उन्हें समय पर सहायता देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

आने वाले समय में यदि यह योजना पूरी तरह सफल होती है, तो यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बन सकती है।

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