जंगी मुर्गा जो मैदान में गाड़े अपना झंडा देशी और खास नस्ल का यह मुर्गा बनाएगा लखपति
हमारा देश कृषि प्रधान होने के साथ-साथ पशुपालन और पोल्ट्री फार्मिंग में भी अग्रणी है। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल शहडोल जिले के कई लोग मुर्गी पालन करते हैं। यहां देसी मुर्गों के साथ-साथ कड़कनाथ मुर्गे भी पाले जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मुर्गे और मुर्गी के बारे में बताने जा रहे हैं जो किसी एटीएम से कम नहीं। यह मुर्गा कड़कनाथ को भी टक्कर देता है।
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क्या है इस मुर्गे की खास नस्ल का नाम?
इस मुर्गे की नस्ल का नाम असील मुर्गा है। यह एक जंगी मुर्गा है जो मैदान में लड़ाई करता है। यह पूरी तरह से देसी और शुद्ध नस्ल का होता है। बाजार में इसकी बहुत मांग है। इसे मुख्य रूप से लड़ाई के लिए पाला जाता है और इसकी व्यावसायिक डिमांड भी बहुत ज्यादा है।
कहां होता है असील मुर्गे का पालन?
असील नस्ल के मुर्गों को मुख्यतः छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में पाला जाता है। पुराने समय में इन मुर्गों की लड़ाई मनोरंजन का साधन होती थी और लोग दूर-दूर से इन्हें देखने आते थे।
असील मुर्गे की खासियत
असील नस्ल के मुर्गे बहुत मजबूत होते हैं। इनका शरीर बेहद ताकतवर होता है और इनका स्वभाव भी लड़ाकू होता है। इनके पैर लंबे और गर्दन मोटी होती है। यह तेज और आक्रामक तरीके से लड़ाई करते हैं।
असील के अंडों और मांस की डिमांड
असील मुर्गे का मांस बाजार में बेहद लोकप्रिय है। ये मुर्गे भूरे और तीन रंगों में पाए जाते हैं। साल भर में एक मुर्गी 60-70 अंडे देती है जिनका वजन करीब 40 ग्राम होता है। इसके अंडे बाजार में महंगे बिकते हैं।
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असील मुर्गा: कमाई का साधन
असील मुर्गा सच में पैसे की बारिश कर सकता है। डेढ़ साल में इसका वजन 3-4 किलो तक हो जाता है और इसके मांस की कीमत 400-500 रुपये प्रति किलो होती है। एक असील मुर्गा 2000-2500 रुपये तक बिकता है।