बैतूल मंडी भाव 18 नवंबर 2024: मक्का की भारी आवक, किसानों की चिंता बढ़ी

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बैतूल मंडी भाव 18 नवंबर 2024: मक्का की भारी आवक, किसानों की चिंता बढ़ी

बैतूल मंडी में 18 नवंबर 2024 को मंडी की गतिविधियों में तेजी देखने को मिली। इस दिन मंडी में कुल 29,090 बोरे कृषि उपज की आवक दर्ज की गई। खासतौर पर मक्का और गेंहू की आवक ने मंडी में जोर पकड़ा। वहीं, मूंग और उड़द जैसी फसलों की आवक नहीं होने के कारण इनकी कीमतों में स्थिरता बनी रही। हालांकि, किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिलने से असंतोष और चिंता की स्थिति देखने को मिली।


मंडी में कृषि उपज की आवक (18 नवंबर 2024)

18 नवंबर को बैतूल मंडी में निम्नलिखित फसलों की आवक दर्ज की गई:

  • गेंहू: 3,869 बोरे
  • सोयाबीन: 1,940 बोरे
  • मक्का: 23,272 बोरे

मंडी में मक्का की आवक सबसे ज्यादा रही, जो कुल आवक का एक बड़ा हिस्सा है। वहीं, सोयाबीन की आवक अपेक्षाकृत कम रही।


मक्का की भारी आवक और कीमतों का असर

मक्का की आवक:

  • 23,272 बोरे मक्का की आवक दर्ज की गई।
  • मक्का के दामों में उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिला।

कीमतों की स्थिति:
मक्का की कीमतें स्थिर रही, लेकिन कई किसानों का कहना है कि मौजूदा दरें उनकी लागत को भी कवर नहीं कर पा रही हैं। उत्पादन में आई बढ़ोतरी और बाजार में डिमांड कम होने से कीमतों में कमी आई है।

किसानों की प्रतिक्रिया:
किसानों ने मंडी में कम दामों को लेकर नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना है कि अगर इसी तरह स्थिति बनी रही तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा।


सोयाबीन की स्थिति

सोयाबीन की आवक:
सोयाबीन की कुल 1,940 बोरे की आवक दर्ज की गई।

कीमतें:

  • वर्तमान में सोयाबीन की कीमत इतनी कम है कि किसान अपनी लागत निकालने में भी सक्षम नहीं हैं।
  • उत्पादन लागत और मंडी में मिलने वाले दाम के बीच का अंतर बढ़ने से किसानों की मुश्किलें बढ़ रही हैं।

कई किसानों ने शिकायत की कि पिछले साल के मुकाबले इस साल सोयाबीन के दाम बहुत कम हैं।


गेंहू की स्थिति

गेंहू की आवक:

  • मंडी में गेंहू की 3,869 बोरे की आवक हुई।
  • गेंहू की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रहीं, लेकिन किसानों की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं थीं।

किसानों की प्रतिक्रिया:
कई किसानों ने कहा कि गेंहू की फसल पर उन्हें थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन अन्य फसलों की कीमतें चिंताजनक हैं।


मूंग और उड़द की स्थिति

मूंग की आवक:

  • इस दिन मंडी में मूंग की कोई आवक नहीं हुई।
  • पिछले दिनों मूंग की कीमतें ₹4,051 प्रति क्विंटल के आस-पास थीं।

उड़द की स्थिति:

  • उड़द की भी कोई आवक नहीं हुई।
  • उड़द की कीमतें पिछले हफ्ते ₹7,200 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं।

मूंग और उड़द की कमी से मंडी में इन फसलों की डिमांड स्थिर बनी रही, जिससे किसानों को थोड़ा फायदा हो सकता है।


किसानों की समस्याएं और सरकार से उम्मीदें

मंडी में कई किसानों ने अपनी समस्याओं को खुलकर सामने रखा। उनका कहना है कि उत्पादन लागत बढ़ने के बावजूद फसलों के दाम में गिरावट हो रही है।

किसानों की प्रमुख समस्याएं:

  1. कम कीमतें:
  • सोयाबीन, मक्का और अन्य फसलों की कीमतें उनकी लागत से भी कम हैं।
  1. मंडी में पारदर्शिता की कमी:
  • कई किसानों का कहना है कि मंडी में बोली लगाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है।
  1. सहायता की कमी:
  • सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक सही तरीके से नहीं पहुंच रहा है।

सरकार से उम्मीदें:

  • किसानों ने सरकार से मांग की है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करें।
  • मंडी में पारदर्शिता बढ़ाई जाए और फसलों के दाम तय करने की प्रक्रिया को सुधारने पर ध्यान दिया जाए।

कृषि मंडी का महत्त्व

बैतूल मंडी जैसे कृषि मंडियां किसानों और खरीदारों के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का काम करती हैं। यहां फसलों की खरीदी-बिक्री होती है और किसानों को उनकी मेहनत का फल मिलता है।

लेकिन जब फसलों के दाम कम होते हैं, तो इसका सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। सरकार और संबंधित विभागों को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि किसानों की मेहनत व्यर्थ न जाए।


किसानों के लिए सुझाव

  1. मंडी में अपडेट रहें:
  • मंडी में फसलों की आवक और कीमतों पर नजर रखें।
  1. समूह में काम करें:
  • किसानों को फसल बेचने के लिए समूह बनाकर काम करना चाहिए ताकि उन्हें उचित दाम मिल सके।
  1. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं:
  • कृषि से जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी लें और उनका पूरा लाभ उठाएं।
  1. बाजार का अध्ययन करें:
  • स्थानीय और वैश्विक बाजार में फसलों की डिमांड का अध्ययन करें।

बैतूल मंडी में 18 नवंबर 2024 को मक्का और गेंहू की भारी आवक हुई। हालांकि, किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर दबाव बढ़ रहा है।

सरकार और मंडी प्रशासन को चाहिए कि वे किसानों की समस्याओं का समाधान करें। वहीं, किसानों को भी अपने उत्पादन और बिक्री में नई रणनीतियां अपनानी चाहिए।

betuकिसान देश की रीढ़ हैं, और उनकी समस्याओं का समाधान करना हम सभी की जिम्मेदारी है। अगर आप किसान हैं या उनसे जुड़े किसी विषय पर काम कर रहे हैं, तो इस जानकारी को जरूर साझा करें।

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