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Gehu panchayat: गेहूं की नई MSP पर किसानों का नया फॉर्म्यूला, गांव-गांव होगी गेहूं पंचायत
Gehu panchayat: गेहूं की नई MSP पर किसानों का नया फॉर्म्यूला, गांव-गांव होगी गेहूं पंचायत
मध्य प्रदेश के किसानों ने गेहूं की नई एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर बड़ा अभियान शुरू कर दिया है। किसान चाहते हैं कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर ₹3000 प्रति क्विंटल किया जाए। इस मांग को लेकर अब गांव-गांव में ‘गेहूं पंचायत’ आयोजित करने की योजना बनाई गई है।
मध्य प्रदेश में गेहूं एमएसपी अभियान
मालवा क्षेत्र के किसान सोशल मीडिया के जरिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि 2425 रुपये प्रति क्विंटल की मौजूदा एमएसपी किसानों की लागत और मेहनत को देखते हुए अपर्याप्त है। किसानों का कहना है कि उत्पादन की लागत लगातार बढ़ रही है, ऐसे में उन्हें कम से कम ₹3000 प्रति क्विंटल एमएसपी मिलनी चाहिए।
गेहूं पंचायतों का आयोजन
रतलाम और आसपास के गेहूं उत्पादक किसानों ने गांव-गांव में ‘गेहूं पंचायत’ आयोजित करने का फैसला लिया है। इन पंचायतों में किसान एकजुट होकर सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए रणनीति बनाएंगे। पंचायतों में किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और स्थानीय नेताओं को भी बुलाया जाएगा, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
क्यों उठ रही है MSP बढ़ाने की मांग?
- बढ़ती लागत: खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे खेती महंगी हो गई है।
- महंगाई का असर: महंगाई के कारण किसानों को अपनी उपज से उचित मुनाफा नहीं मिल पा रहा है।
- अन्य फसलों की तुलना में कम दाम: दूसरी फसलों की तुलना में गेहूं का एमएसपी कम होने के कारण किसान नुकसान में हैं।
- कर्ज और घाटे की समस्या: एमएसपी कम होने से किसानों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है।
सोशल मीडिया पर अभियान
मध्य प्रदेश के किसान इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं। वे #WheatMSP3000 और #KisanKiMange जैसे हैशटैग के जरिए अपनी मांगें रख रहे हैं। किसान फेसबुक, ट्विटर, और व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार का रुख क्या है?
सरकार ने फिलहाल गेहूं की एमएसपी ₹2425 प्रति क्विंटल तय की है। हालांकि, किसान संगठन लगातार मांग कर रहे हैं कि सरकार इस पर पुनर्विचार करे और किसानों को उचित लाभकारी मूल्य दे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि मंत्री से भी इस विषय पर जवाब मांगा जा रहा है।
क्या होगी किसानों की अगली रणनीति?
- गेहूं पंचायतों का विस्तार: यह अभियान केवल मालवा तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे राज्य में फैलाया जाए।
- सरकार को ज्ञापन सौंपना: किसान संगठनों की ओर से मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को ज्ञापन भेजे जाएंगे।
- प्रदर्शन और धरने: यदि सरकार ने मांगें नहीं मानीं, तो किसान विरोध प्रदर्शन करने की भी योजना बना सकते हैं।
मध्य प्रदेश के किसान गेहूं की उचित कीमत के लिए संगठित होकर आवाज उठा रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार MSP को ₹3000 प्रति क्विंटल तक बढ़ाए, ताकि उन्हें उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके। किसानों की यह लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और किसानों की मांगों को कितना गंभीरता से लेती है।