गेहूं के खेत में होंगी कलियों की बौछार, 30 दिन बाद डालें ये खाद, बढ़ेगी फसल की तादात!
किसान भाइयों, आजकल हमारे देश के अधिकांश कृषि क्षेत्रों में गेहूं की बुआई हो रही है। गेहूं, भारत की एक अहम फसल है और इस फसल की सही देखभाल करने से बेहतर उत्पादन मिल सकता है। हालांकि इस बार गर्मी ज्यादा होने की वजह से गेहूं की बुआई थोड़ी देर से हो रही है, लेकिन फिर भी लगभग 70-80% बुआई पूरी हो चुकी है। गर्मी का असर पहले से बुआई हुई फसल पर दिखाई दे रहा है, जिसके कारण पौधों की ग्रोथ और फुटाव में कमी देखने को मिल रही है।
किसान भाई, अगर आप अपनी गेहूं की फसल में ज्यादा कल्ले फुलाना चाहते हैं और उसकी वृद्धि में सुधार करना चाहते हैं, तो आपको सही पोषक तत्वों का उपयोग करना बेहद जरूरी है। आइए, जानते हैं गेहूं की फसल के लिए सही पोषक तत्व और उर्वरक कब और कितनी मात्रा में डालने चाहिए।
पोषक तत्वों का सही उपयोग
गेहूं की फसल की अवस्था 25-35 दिन के बीच सबसे उपयुक्त समय होता है पोषक तत्व डालने के लिए। इस समय, पौधों को नाइट्रोजन, सूक्ष्म पोषक तत्व और अन्य आवश्यक तत्वों की आवश्यकता होती है। अगर आप सही समय पर सही पोषक तत्व डालते हैं, तो फसल की वृद्धि के साथ-साथ कल्लों की संख्या भी बढ़ सकती है।
यूरिया और सागरिका का मिश्रण
अगर आप चाहते हैं कि गेहूं के पौधे तेजी से बढ़ें, तो आपको यूरिया और सागरिका का मिश्रण सही मात्रा में डालना चाहिए। यूरिया से पौधों को नाइट्रोजन मिलता है, जो उनकी वृद्धि, जड़ों के विकास और हरियाली के लिए आवश्यक है। वहीं, सागरिका, एक प्राकृतिक समुद्री शैवाल खाद है, जो मिट्टी में पड़े हुए पोषक तत्वों को सक्रिय कर देती है, जिससे पौधे उन तत्वों को आसानी से अवशोषित कर सकते हैं। इस मिश्रण को शाम के समय स्प्रे करें।
मात्रा की बात करें तो
- यूरिया: 40 किलो प्रति एकड़
- सागरिका: 7 किलो प्रति एकड़
इन दोनों को मिलाकर, फसल में डालने से पौधों की वृद्धि तेज होती है और कल्ले जल्दी फूटने लगते हैं।
अतिरिक्त पोषक तत्वों का उपयोग
7-8 दिन बाद, आपको मैग्नीशियम सल्फेट, जिंक सल्फेट, बोरन और फेरस सल्फेट का उपयोग भी करना चाहिए। ये तत्व फसल की वृद्धि को और तेज करते हैं और कल्लों की बढ़ोतरी में मदद करते हैं।
इन तत्वों को मिलाकर स्प्रे करें:
- मैग्नीशियम सल्फेट: हरे रंग को बढ़ाता है
- जिंक सल्फेट: नाइट्रोजन का अवशोषण बढ़ाता है
- बोरन: कैल्शियम संतुलन बनाए रखता है
- फेरस सल्फेट: पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
इन सभी पोषक तत्वों का मिश्रण 100-120 लीटर पानी में घोलकर, एक एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। इससे आपकी गेहूं की फसल में वृद्धि और कल्लों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा सकती है।
सिंचाई का महत्व
गेहूं की फसल के लिए सिंचाई बेहद महत्वपूर्ण है। अगर सिंचाई सही तरीके से की जाए, तो उर्वरक का असर ज्यादा दिखता है और फसल की वृद्धि तेज होती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं की फसल के लिए लगभग 40 सेमी जल की आवश्यकता होती है। सिंचाई की सही विधि अपनाकर फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है।
कब और कैसे करें सिंचाई?
- पहली सिंचाई: बुआई के 20-25 दिन बाद, जब पौधों की जड़ें विकसित हो रही होती हैं।
- दूसरी सिंचाई: बुआई के 40-45 दिन बाद, जब कल्ले बन रहे होते हैं।
- तीसरी सिंचाई: बुआई के 65-70 दिन बाद, जब तने में गांठें पड़ रही होती हैं।
- चौथी सिंचाई: बुआई के 90-95 दिन बाद, जब फूल आ रहे होते हैं।
- पाँचवीं सिंचाई: बुआई के 105-110 दिन बाद, जब दानों में दूध पड़ रहा होता है।
- छठी सिंचाई: बुआई के 120-125 दिन बाद करनी चाहिए।
सिंचाई विधि में सुधार
किसान भाइयों, अब समय आ गया है कि पारंपरिक सिंचाई विधियों को छोड़कर, अधिक आधुनिक और प्रभावी तरीकों का उपयोग करें। बूंद-बूंद सिंचाई और फव्वारा सिंचाई जैसे तरीकों से फसल को अधिक पानी मिलता है, जिससे पैदावार भी ज्यादा होती है।