गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले 5 खतरनाक रोग, जाने इनसे बचने के उपाय

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गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले 5 खतरनाक रोग, जाने इनसे बचने के उपाय

गेहूं देश में सबसे महत्वपूर्ण रबी फसल है, जिसे लाखों किसान बड़े पैमाने पर उगाते हैं। हालांकि, फसल उत्पादन के दौरान कई बार ऐसे रोग लग जाते हैं, जो किसानों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनते हैं। सही समय पर इन रोगों की पहचान और प्रबंधन से न केवल फसल को बचाया जा सकता है, बल्कि उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है।

आइए जानते हैं गेहूं की फसल में लगने वाले पांच प्रमुख रोग, उनके लक्षण और इनसे बचने के उपाय।


1. दीमक का प्रकोप

लक्षण:
दीमक छोटे, पंखहीन और सफेद या हल्के पीले रंग के कीट होते हैं। ये फसल में समूह बनाकर जड़ों और बीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। दीमक के प्रकोप से प्रभावित पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और पौधे कुतरे हुए नजर आते हैं। इसका प्रकोप खासकर बलुई और दोमट मिट्टी वाले क्षेत्रों में ज्यादा देखा जाता है।

प्रबंधन:

  • सामान्य उपाय: खेत में गोबर की खाद का प्रयोग करें और फसल अवशेषों को नष्ट करें।
  • रासायनिक नियंत्रण: सिंचाई के दौरान क्लोरपाइरीफास 20% ईसी की 2.5 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें।
  • जैविक उपाय: खेत में प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल नीम की खली डालकर बुवाई करें।

2. माहू रोग (Aphids)

लक्षण:
माहू छोटे पंखयुक्त या पंखहीन हरे रंग के कीट होते हैं। ये पत्तियों और बालियों से रस चूसते हैं। इनके मधुश्राव (हनीड्यू) के कारण काले कवक का प्रकोप बढ़ता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और फसल का उत्पादन घट जाता है।

प्रबंधन:

  • सामान्य उपाय: गहरी जुताई करवाएं और खेतों के चारों तरफ मक्का, बाजरा या ज्वार की बुवाई करें।
  • कीट प्रबंधन: गंध पाश (फेरोमोन ट्रैप) लगाकर कीटों की निगरानी करें।
  • रासायनिक नियंत्रण: क्यूनालफास 25% ईसी की 400 मिली मात्रा को 500-1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

3. भूरा रतुआ रोग

लक्षण:
भूरे रतुआ रोग का असर पत्तियों पर नारंगी-भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखता है। ये धब्बे पत्तियों के ऊपरी और निचले सतह पर बनते हैं। जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, ये धब्बे तेजी से फैलते हैं। यह रोग खासतौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, और पश्चिम बंगाल में देखा जाता है।

प्रबंधन:

  • सामान्य उपाय: एक ही किस्म की बुवाई बड़े क्षेत्र में न करें, क्योंकि इससे रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
  • रासायनिक नियंत्रण: प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी या टेबुकोनाजोल 25 ईसी का 0.1% घोल बनाकर छिड़काव करें। रोग बढ़ने की स्थिति में 10-15 दिनों के भीतर दूसरा छिड़काव करें।

4. काला रतुआ रोग

लक्षण:
काला रतुआ रोग तनों पर भूरे-कालापन लिए धब्बे के रूप में प्रकट होता है। इसका प्रभाव तनों से पत्तियों तक फैलता है। इससे तने कमजोर हो जाते हैं और गेहूं के दाने छोटे और झिल्लीदार हो जाते हैं। यह रोग दक्षिण भारत के पहाड़ी इलाकों में ज्यादा देखा जाता है।

प्रबंधन:

  • सामान्य उपाय: नियमित रूप से फसलों की निगरानी करें।
  • रासायनिक नियंत्रण: प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी या टेबुकोनाजोल 25 ईसी का 0.1% घोल बनाकर छिड़काव करें। जरूरत पड़ने पर दूसरा छिड़काव 10-15 दिनों के भीतर करें।

5. पीला रतुआ रोग

लक्षण:
पीला रतुआ रोग में पत्तियों पर पीले रंग की धारियां बनती हैं। पत्तियों को छूने पर पीले रंग का पाउडर हाथों पर चिपकता है। यह रोग ठंडे और नम क्षेत्रों में तेजी से फैलता है। इसका प्रकोप हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में अधिक देखा जाता है।

प्रबंधन:

  • सामान्य उपाय: पीला रतुआ रोग के प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें और उन्हें बड़े क्षेत्र में न लगाएं।
  • रासायनिक नियंत्रण: प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी या टेबुकोनाजोल 25 ईसी का 0.1% घोल बनाकर छिड़काव करें। रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत नियंत्रण उपाय अपनाएं।

रोगों से बचाव के सामान्य सुझाव

  1. समय पर जुताई और बुवाई: खेत की गहरी जुताई करें और फसल चक्र अपनाएं।
  2. स्वच्छता बनाए रखें: खेत में फसल अवशेषों को नष्ट करें और खरपतवारों को समय-समय पर हटाएं।
  3. मिट्टी का परीक्षण: मिट्टी की गुणवत्ता जांचकर उसमें संतुलित पोषक तत्वों का प्रयोग करें।
  4. प्रतिरोधी किस्में लगाएं: रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
  5. नियमित निगरानी: फसल की नियमित निगरानी से रोग के शुरुआती चरण में ही नियंत्रण संभव है।

गेहूं की फसल में रोग लगना आम समस्या है, लेकिन सही समय पर पहचान और उचित प्रबंधन से इनसे बचा जा सकता है। दीमक, माहू, भूरा रतुआ, काला रतुआ और पीला रतुआ जैसे रोग फसल के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। अगर किसान सही उपाय अपनाएं और समय पर उपचार करें, तो फसल को रोग मुक्त रखा जा सकता है और पैदावार में वृद्धि हो सकती है।

आपकी फसल सुरक्षित और लाभदायक हो, यही हमारी कामना है!

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