गेहूं की फसल को दीमक से बचाने के नए तरीके, आपकी फसल और कमाई दोनों होगी सुरक्षित

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गेहूं की फसल को दीमक से बचाने के नए तरीके: आपकी फसल और कमाई दोनों होगी सुरक्षित

भारत में गेहूं की खेती का प्रमुख स्थान है, खासकर उत्तर गुजरात जैसे क्षेत्रों में। सर्दियों में रबी फसल के दौरान गेहूं की बुवाई बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन खेती के इस महत्वपूर्ण चरण में किसानों को दीमक की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह न केवल उत्पादन को कम करता है, बल्कि किसानों की मेहनत और उनकी कमाई पर भी असर डालता है।

इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि दीमक की समस्या से कैसे बचा जा सकता है, और इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए आसान और प्रभावी तरीकों के बारे में जानकारी देंगे।


गेहूं की खेती और दीमक की समस्या

उत्तर गुजरात में, गेहूं की खेती किसानों की प्रमुख आजीविका का हिस्सा है। लेकिन बुवाई के बाद या सिंचाई के दौरान दीमक का हमला फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। दीमक जमीन में मौजूद होती है और पौधों की जड़ों पर हमला करती है, जिससे फसल कमजोर हो जाती है।

दीमक से नुकसान

  1. फसल उत्पादन में कमी:
    • दीमक जड़ों को खाकर पौधे की वृद्धि रोक देती है।
    • पौधे सूखने लगते हैं, जिससे पैदावार घट जाती है।
  2. गुणवत्ता पर असर:
    • दीमक से प्रभावित फसल की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
    • बाजार में अच्छे दाम नहीं मिलते।

वैज्ञानिकों की सलाह: फसल को दीमक से कैसे बचाएं?

मेहसाणा के खेड़वा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. रमेशभाई पटेल ने गेहूं की फसल को दीमक से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उनके अनुसार, यदि किसान शुरुआत से ही सावधानी बरतें, तो दीमक की समस्या से बचा जा सकता है।

बुवाई के समय बीज का उपचार

  • क्लोरपायरीफोस 20% ईसी का उपयोग करें।
  • 90-100 मिलीलीटर क्लोरपायरीफोस को 1 लीटर पानी में मिलाएं।
  • इस घोल में 20 किलो गेहूं के बीज को भिगोकर उपचारित करें।
  • यह प्रक्रिया बुवाई से 7-8 घंटे पहले करें।

फायदा:

  • बीज पर दवा की परत दीमक को शुरुआत में ही रोक देती है।
  • यह प्रक्रिया बेहद सरल और प्रभावी है।

फसल में दीमक दिखने पर क्या करें?

सिंचाई के दौरान दवा का उपयोग

  • यदि फसल के तीसरे या चौथे सिंचाई के बाद दीमक का प्रकोप दिखे:
    • 700-800 मिलीलीटर क्लोरपायरीफोस 20% ईसी को पानी में मिलाएं।
    • इस घोल का हल्का छिड़काव करें।
    • यह घोल बालू के साथ मिलाकर खेत में फैलाया जा सकता है।

सावधानी बरतें:

  • दवा की सही मात्रा का उपयोग करें।
  • अधिक मात्रा में दवा उपयोग करने से फसल की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।

लाभ:

  • समय पर दवा का उपयोग फसल को बचाने और उत्पादन को बनाए रखने में मदद करता है।

दीमक से बचाव के अन्य उपाय

फसल चक्र अपनाएं (Crop Rotation)

  • एक ही प्रकार की फसल लगातार उगाने से दीमक का प्रकोप बढ़ सकता है।
  • गेहूं के साथ दलहनी फसलों (जैसे चना या मूंग) की खेती करें।

सड़ी-गली जैविक खाद का उपयोग न करें

  • खेत में खराब जैविक खाद दीमक को आकर्षित कर सकती है।
  • केवल अच्छी गुणवत्ता वाली खाद का उपयोग करें।

मिट्टी की जुताई सही तरीके से करें

  • खेत की जुताई समय पर और गहराई तक करें।
  • जुताई से मिट्टी में मौजूद दीमक की बस्तियां नष्ट हो जाती हैं।

सिंचाई का सही समय चुनें

  • फसल की जरूरत के अनुसार सिंचाई करें।
  • अधिक पानी दीमक को फैलने का मौका दे सकता है।

दीमक से बचाव के फायदे

फसल की गुणवत्ता में सुधार:

  • दीमक से मुक्त फसल अधिक स्वस्थ और गुणवत्तापूर्ण होती है।
  • बेहतर उपज मिलने से किसान को अच्छा मुनाफा होता है।

उत्पादन बढ़ता है:

  • दीमक की रोकथाम से पौधे सही तरीके से बढ़ते हैं।
  • पैदावार में 20-30% तक वृद्धि हो सकती है।

खर्च में कमी:

  • समय पर दवा और सावधानी से दीमक की रोकथाम करने पर बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।

किसानों के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

  1. बीज खरीदते समय गुणवत्ता का ध्यान रखें।
  2. खेत की तैयारी के दौरान मिट्टी परीक्षण जरूर कराएं।
  3. सिफारिश की गई दवाओं का ही उपयोग करें।
  4. कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेते रहें।
  5. फसल चक्र और जैविक खाद का सही तरीके से उपयोग करें।

भारत में गेहूं की खेती कृषि क्षेत्र की रीढ़ मानी जाती है। लेकिन दीमक जैसी समस्याएं किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकती हैं। वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए सरल और प्रभावी उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

यदि आप भी अपनी फसल को दीमक से बचाना चाहते हैं, तो इस लेख में बताए गए तरीकों को अपनाएं। सही समय पर सावधानी बरतकर न केवल आपकी फसल बचेगी, बल्कि आपकी कमाई के सपने भी पूरे होंगे।


आपकी फसल, आपकी जिम्मेदारी। सावधानी और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करें, और अपनी फसल को दीमक से बचाएं।

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