
Kiwi ki kheti: करोडो की कमाई वाला यह बिजनेस,देख बाहरी राज्यों के व्यापारी भी बने लालची
Kiwi ki kheti: कीवी, जो कभी सिर्फ पॉलीहाउस में उगाई जाती थी, आज पूरे कपकोट क्षेत्र में उगाई जा रही है। साल 2023-24 में बागेश्वर जिले से 1 करोड़ 70 लाख रुपये की कीवी का निर्यात हुआ है। अब तक करीब 650 क्विंटल कीवी अन्य राज्यों को और 250 क्विंटल उत्तराखंड में, जिसमें बागेश्वर भी शामिल है, बेची जा चुकी है।
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कीवी किसानों की आजीविका का सहारा
आज कीवी उत्पादन से 200 से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं और यह उनकी आजीविका को मजबूत कर रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी बागेश्वर की कीवी का स्वाद चखा और जिला प्रशासन, बागवानी विभाग और किसानों की सराहना की।
बाहरी राज्यों के व्यापारी ले रहे हैं रुचि
बागेश्वर जिला अब कीवी क्रांति की ओर बढ़ रहा है। पहले यहां की कीवी सिर्फ स्थानीय बाजार में बिकती थी, लेकिन अब हिमालयी क्षेत्र की इस बेहतरीन कीवी की मांग देशभर में बढ़ गई है। उत्तराखंड, गोरखपुर, आजमगढ़, दिल्ली, मुंबई और लखनऊ से थोक व्यापारी भी अब कीवी में दिलचस्पी ले रहे हैं। किसान को एक किलो कीवी के लिए 190 से 200 रुपये तक मिल रहे हैं।
कीवी उत्पादन की शुरुआत कब हुई?
बागेश्वर में कीवी उत्पादन 2007 में शुरू हुआ था। स्कूल के रिटायर्ड प्रधानाचार्य भवन सिंह कोरंगा ने इसकी पहल की। उन्हें आज ‘कीवी मैन’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र भवाली से कुछ कीवी के पौधे मंगवाए और इन्हें पॉलीहाउस में उगाया। धीरे-धीरे उन्होंने गांव वालों को भी कीवी की खेती सिखाई और उनके प्रयास सफल रहे।
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“एक जिला एक उत्पाद” में शामिल हुई कीवी
कीवी मैन की मेहनत को देखकर उत्तराखंड सरकार ने कीवी को “एक जिला एक उत्पाद” योजना में शामिल किया। आज कपकोट, खराड़ी पट्टी, कौसानी, मैनकोट, कंडा जैसे क्षेत्रों में किसान तीन ग्रेड—ए, बी, सी—कीवी उगा रहे हैं। जिला मजिस्ट्रेट आशीष भटगाईं के अनुसार, जंगली जानवर भी कीवी को नुकसान नहीं पहुंचाते, जिससे यह खेती पहाड़ों के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है। अब बाकी किसानों को भी कीवी उत्पादन से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।