लहसुन के पत्ते हो रहे मरे जैसे और पीले तो इन उपायों से बचाएं फसल, चकमेगी सोने माफिक

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लहसुन एक ऐसी चीज है जिसका हर हिस्सा बिकता है। पत्ते से लेकर गांठ तक। लहसुन के औषधीय गुण भी हैं। इसलिए जरूरी है कि लहसुन का पौधा शुरुआत से ही स्वस्थ रहे। लहसुन का पत्ता पूरी फसल को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसलिए अगर पत्ता मुरझाया या पीला दिखने लगे तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए। किसी एक्सपर्ट से सलाह लेकर इस मुरझाने का तुरंत इलाज करें, नहीं तो बाद में आपको उपज और उसकी गुणवत्ता दोनों गंवानी पड़ सकती है। आइए जानते हैं कि लहसुन का पत्ता मुरझाना नहीं चाहिए, और अगर ऐसी स्थिति आती है तो किस खाद या दवाई से इसका इलाज किया जाएगा।

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अगर आप लहसुन के पत्ते को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो इसे सूखी और ढीली मिट्टी में उगाएं। ध्यान रखें कि मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। लहसुन की फसल में पानी नहीं भरना चाहिए। ज्यादा पानी होने पर सबसे पहले इसके पत्ते खराब होते हैं, फिर कंद या गांठ प्रभावित होती है। इस बात का ध्यान रखते हुए लहसुन के खेत में पानी निकास का पूरा इंतजाम कर दें। लहसुन का पत्ता तभी स्वस्थ रहता है जब उसे पर्याप्त धूप मिले। इसलिए खेत के आसपास कोई रुकावट या बड़े पेड़-पौधे नहीं होने चाहिए।

ये चार कारण हैं जिम्मेदार

लहसुन के पत्ते पीले पड़ने या मुरझाने के चार मुख्य कारण हैं। एफिड का प्रकोप, लीफ स्पॉट बीमारी, ज्यादा पानी और नाइट्रोजन खाद की कमी। इन चार कारणों में से कोई भी एक कारण लहसुन के पत्तों को मुरझा सकता है या पीला कर सकता है। इससे पूरी फसल खराब होने का खतरा रहता है। अगर पत्तों पर ऐसे लक्षण दिखाई दें तो जान लें क्या करना है।

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अगर फसल को पर्याप्त यूरिया नहीं दिया गया है तो सिंचाई या निराई-गुड़ाई के बाद जरूर यूरिया दें।

अगर खेत में पानी भरा है तो तुरंत उसे निकालने का इंतजाम करें।

एक लीटर पानी में दो ग्राम डाइथेन एम 45 मिलाकर घोल बनाएं। इस घोल का छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर दो बार करें।

पानी में 1 मिलीलीटर/लीटर की दर से रोगोर का घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर दो बार स्प्रे करें।

इसके अलावा फसल में 80 ग्राम प्रति लीटर की दर से घुलनशील नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का छिड़काव करें। इस छिड़काव को 15 दिन बाद दोहराएं।

क्लोरोसिस पत्तियों के पीले पड़ने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए मिट्टी का परीक्षण करवाएं। उस परीक्षण के आधार पर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करें।

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