मध्य प्रदेश के सतना जिले के पुष्पा भाऊ, लाल चंदन की खेती कर किसान बना लाखों का मालिक
मध्य प्रदेश के सतना जिले पुष्पा भाऊ, लाल चंदन की खेती कर किसान बना लाखों का मालिक
मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक छोटा सा गांव बघेलान त्योंधरी इन दिनों चर्चा में है। वजह है एक किसान, कृष्ण कुमार, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और स्मार्ट सोच से लाल और सफेद चंदन की खेती कर न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी नाम कमा लिया है। उनकी सफलता की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। आज यह किसान न केवल अपनी खेती से कमाई कर रहा है, बल्कि यूट्यूब के जरिए लाखों लोगों को चंदन की खेती के गुर सिखा रहा है।
चंदन की खेती की शुरुआत
कृष्ण कुमार ने लगभग तीन साल पहले चंदन की खेती शुरू की। उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो देखकर लाल और सफेद चंदन उगाने के तरीके सीखे। शुरुआत में उन्होंने इसे शौक के तौर पर किया, लेकिन जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि इसमें बड़ा व्यापारिक अवसर है।
उन्होंने अपने बगीचे में चंदन के पौधे लगाए और धीरे-धीरे इसे एक बड़े स्तर पर बढ़ाया। उनकी मेहनत और लगन का नतीजा यह हुआ कि अब वह न केवल देश के विभिन्न हिस्सों में बल्कि विदेशों में भी अपने चंदन के बीज बेच रहे हैं।
चंदन की मांग और विदेशी बाजार
लाल चंदन और सफेद चंदन की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, और वियतनाम जैसे देशों में भी है। कृष्ण कुमार के तैयार किए गए बीज इन देशों में बड़े पैमाने पर भेजे जा रहे हैं।
शुरुआत में उन्होंने पाकिस्तान में केवल 2 किलो बीज भेजे थे। जब उन्हें भरोसा हुआ कि लेनदेन सही तरीके से हो रहा है, तो उन्होंने 25 किलो तक बीज भेजना शुरू कर दिया। यह उनकी मेहनत और व्यावसायिक समझदारी का नतीजा है कि आज उनके बीज विदेशों में भी अपनी जगह बना चुके हैं।
यूट्यूब के जरिए सफलता की कहानी
कृष्ण कुमार ने चंदन की खेती के बारे में जानकारी देने के लिए अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया। इस चैनल पर वह लोगों को चंदन उगाने के तरीके, इसकी देखभाल, और मार्केटिंग के बारे में सिखाते हैं।
उनके चैनल को लाखों लोग फॉलो करते हैं, और इसके जरिए उन्हें न केवल नाम बल्कि अच्छी-खासी आय भी हो रही है। उनका कहना है कि अगर कोई चंदन की खेती के प्रति गंभीर है, तो इसमें मेहनत के साथ-साथ स्मार्ट तरीके से काम करना जरूरी है।
लाल चंदन की खेती के फायदे
- लंबे समय तक चलने वाला पेड़: लाल चंदन एक ऐसा पेड़ है जो 15-20 साल तक रहता है।
- उच्च मांग: इसकी लकड़ी और बीज की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत अधिक मांग है।
- किफायती खेती: इसे उगाने में ज्यादा खर्चा नहीं आता, लेकिन इसका मुनाफा बहुत अधिक होता है।
- प्राकृतिक सौंदर्य: लाल चंदन का उपयोग फर्नीचर, इत्र, और धार्मिक उपयोग में होता है, जिससे इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
पाकिस्तान और अन्य देशों में बीजों की मांग
कृष्ण कुमार का कहना है कि सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड करने के बाद से ही उन्हें लगातार ऑर्डर मिलना शुरू हुआ। उन्होंने भारतीय एजेंटों के जरिए विदेशों में बीज भेजने का काम शुरू किया।
उनके अनुसार, पाकिस्तान जैसे देशों में भी लाल चंदन की खेती को लेकर काफी उत्साह है। वहां के किसान उनसे बीज खरीद रहे हैं और इसकी खेती का तरीका सीख रहे हैं।
चंदन की खेती शुरू करने के टिप्स
- सही जगह का चुनाव करें: लाल चंदन के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त है।
- पौधों की देखभाल: शुरुआती 2-3 साल तक पौधों की नियमित देखभाल करना जरूरी है।
- बाजार की जानकारी रखें: फसल तैयार होने के बाद सही बाजार का चुनाव करें।
- सरकार की मदद लें: सरकार की कृषि योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाएं।
- सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें: अपने उत्पाद को बेचने और प्रचारित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करें।
किसान के लिए प्रेरणा
कृष्ण कुमार की कहानी यह साबित करती है कि अगर किसी के पास इच्छाशक्ति और मेहनत करने का जज्बा हो, तो वह अपनी किस्मत बदल सकता है। लाल चंदन की खेती ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि उन्हें एक पहचान भी दी है।
आज वह न केवल एक सफल किसान हैं, बल्कि एक प्रशिक्षक भी हैं, जो लाखों लोगों को अपनी सफलता की राह दिखा रहे हैं।
लाल चंदन की खेती एक ऐसा क्षेत्र है, जो किसानों को एक स्थायी आय प्रदान कर सकता है। यह न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े मुनाफे का स्रोत बन सकता है।
कृष्ण कुमार की कहानी हमें यह सिखाती है कि सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देखा जा सकता है। अगर आप भी कृषि क्षेत्र में कुछ नया और लाभदायक करना चाहते हैं, तो लाल चंदन की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।