
Makka Ki Kheti 2025: सिर्फ 1 चम्मच मिलाते ही मक्का बन जाएगी नोट छापने की मशीन
Makka Ki Kheti 2025: सिर्फ 1 चम्मच मिलाते ही मक्का बन जाएगी नोट छापने की मशीन
भारत में कृषि एक परंपरा से कहीं ज्यादा जीविका का आधार है। देश के लाखों किसान हर मौसम में दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन कई बार सही जानकारी की कमी के कारण उनकी फसलें उतनी पैदावार नहीं दे पातीं जितनी की उम्मीद होती है। खासकर मक्का (मकई) जैसी फसल, जो एक आम और लोकप्रिय खरीफ फसल है, सही देखभाल से ‘नोट छापने वाली मशीन’ जैसी कमाई दे सकती है।
जी हां, अगर मक्का की खेती में आप केवल 1 चम्मच खाद की सही मात्रा और सही समय पर उपयोग कर लें, तो आपकी उपज दोगुनी हो सकती है। मध्यप्रदेश के सागर जिले से आई एक रिपोर्ट में कृषि वैज्ञानिकों ने मक्का की उपज बढ़ाने के जबरदस्त उपाय बताए हैं, जिन्हें हर किसान को अपनाना चाहिए। आइए इस ब्लॉग में हम आसान भाषा में जानते हैं कि कैसे मक्का की खेती से बंपर उत्पादन लिया जा सकता है।
मक्का की खेती क्यों है फायदेमंद?
मक्का सिर्फ पशु चारे तक सीमित नहीं है, बल्कि आज इसका उपयोग:
- आटा बनाने
- तेल उत्पादन
- स्टार्च उद्योग
- बायो-फ्यूल
- स्नैक्स और फूड इंडस्ट्री
जैसे कई क्षेत्रों में हो रहा है। यही वजह है कि बाजार में इसकी मांग लगातार बनी रहती है, और किसान चाहें तो इसे बिजनेस का रूप भी दे सकते हैं।
खरीफ सीजन की शुरुआत और बुवाई की सही टाइमिंग
सागर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. के. एस. यादव के अनुसार, मानसून की पहली अच्छी बारिश के बाद किसान मक्का, सोयाबीन, अरहर, उड़द जैसी फसलों की बुवाई शुरू कर चुके हैं।
2025 में सागर जिले में रिकॉर्ड 1.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की खेती हो रही है। यह अपने आप में एक बड़ी बात है, और यह दर्शाता है कि किसान अब मक्का को लाभदायक फसल के रूप में अपनाने लगे हैं।
मक्का को नोट छापने वाली मशीन कैसे बनाएं?
डॉ. यादव के अनुसार, अगर आप खाद का सही मिश्रण और सही समय पर उपयोग करते हैं, तो मक्का की उपज दोगुनी हो सकती है। आइए समझते हैं ये जरूरी ट्रिक्स:
बुवाई से पहले की तैयारी
- खेत को अच्छी तरह तैयार करें।
मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए, ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हों। - गोबर की सड़ी हुई खाद खेत में जरूर डालें।
यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और फसल को शुरुआती पोषण देती है। - खाद का प्रारंभिक मिश्रण (प्रति हेक्टेयर):
- 120 किलो नेत्रजन (यूरिया)
- 50 किलो फास्फोरस
- 40 किलो पोटाश
फास्फोरस और पोटाश को बुवाई से पहले ही खेत में मिला देना चाहिए।
यूरिया का एक तिहाई हिस्सा भी इसी समय खेत में डाल देना है।
यूरिया देने का सही समय
बाकी बचा यूरिया दो चरणों में देना है:
- पहला छिड़काव:
जब मक्का 20–25 दिन की हो जाए और उसमें 3-4 पत्तियां निकल आएं। - दूसरा छिड़काव:
जब मक्का 40–45 दिन की हो जाए, उस समय बचा हुआ यूरिया खेत में छिड़कना है।
स्मार्ट ट्रिक: बस 1 चम्मच यूरिया प्रति पौधे के हिसाब से डालें और खेत में बराबर फैला दें, ताकि पौधे इसे जड़ों के जरिए खुद ही सोख लें।
यूरिया डालते समय इन बातों का रखें ध्यान
- यूरिया को पौधों के बीच की लाइन में डालें, जड़ों के बहुत पास नहीं।
- पत्तों या तनों पर यूरिया नहीं गिरना चाहिए।
- छिड़काव करते समय थोड़ा झुक कर ध्यान से डालें।
- यूरिया को पानी के साथ तुरंत हल्की सिंचाई करें, ताकि वह घुल जाए और पौधों तक पहुंचे।
फसल में गोबर और जैविक खाद का महत्व
- सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी की जलधारण क्षमता को बढ़ाती है।
- इससे मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ती है।
- खरपतवार कम उगते हैं, जिससे मक्का के पौधों को खुली जगह मिलती है।
एक्सपर्ट टिप: अगर आपके पास गोबर की खाद है, तो 5-10 टन प्रति हेक्टेयर खेत में डालें और अच्छी तरह जुताई करें।
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कीट और रोग नियंत्रण के उपाय
मक्का में तना छेदक, पत्ता लपेटक, या फॉल आर्मीवॉर्म जैसे कीटों का प्रकोप हो सकता है। इससे बचने के लिए:
- बुवाई के समय थायोमेथोक्साम नामक कीटनाशक का बीज उपचार करें।
- कीट दिखने पर नीम आधारित जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें।
- खेत में पक्षियों के बैठने के लिए डंडियां लगाएं, जिससे प्राकृतिक नियंत्रण हो सके।
सिंचाई का सही समय
मक्का को 3-4 बार सिंचाई की जरूरत होती है, खासकर:
- 20 दिन बाद – कल्ले निकलते समय
- 45 दिन बाद – फूल बनने के समय
- 60–70 दिन – दाना भरते समय
अगर बारिश समय पर हो जाए, तो सिंचाई की जरूरत कम हो सकती है। लेकिन जल प्रबंधन बहुत जरूरी है।
किसानों की आम गलतियां और उनसे बचाव
गलती | सुधार |
---|---|
यूरिया को जड़ों पर डालना | पौधों के बीच की लाइन में डालें |
एक बार में सारा यूरिया देना | दो भाग में बांटें |
गोबर खाद का उपयोग न करना | बुवाई से पहले जरूर मिलाएं |
खरपतवार पर ध्यान न देना | समय-समय पर निराई गुड़ाई करें |
पत्तों पर छिड़काव करना | सिर्फ मिट्टी में ही डालें |
मक्का की खेती से आमदनी का गणित
क्षेत्रफल (हेक्टेयर) | औसत उत्पादन (क्विंटल) | बाजार मूल्य (₹/क्विंटल) | कुल आय (₹) |
---|---|---|---|
1 हेक्टेयर | 60 क्विंटल | ₹1800 | ₹1,08,000 |
अच्छी तकनीक से | 90 क्विंटल | ₹1800 | ₹1,62,000 |
इस तरह से किसान हर साल एक हेक्टेयर से ₹50,000 से ₹70,000 तक अतिरिक्त कमा सकते हैं।
मक्का को बनाएं कमाई की मशीन
मक्का एक ऐसी फसल है जो अगर सही तरीके से की जाए, तो सिर्फ 1 चम्मच खाद से भी नोट छापने वाली मशीन बन सकती है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर अमल करके आप अपनी पैदावार को दोगुना कर सकते हैं।
कहावत है – “सही समय पर सही फैसला ही सफलता की कुंजी है।”
तो आज ही मक्का की खेती को वैज्ञानिक तरीके से अपनाएं और बाजार की मांग का फायदा उठाएं।
अगर आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो:
- इसे अपने गांव या किसान मित्रों के साथ शेयर करें
- कोई सवाल हो तो टिप्पणी करें या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें
स्रोत:
- News18 मध्यप्रदेश रिपोर्ट
- सागर कृषि विज्ञान केंद्र
- डॉ. के एस यादव (प्रधान वैज्ञानिक)