सोयाबीन का MSP नहीं मिलने पर किसानों का विरोध, कलेक्ट्रेट में व्हीलचेयर पर पहुंचा सोयाबीन

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सोयाबीन का MSP नहीं मिलने पर किसानों का विरोध, कलेक्ट्रेट में व्हीलचेयर पर पहुंचा सोयाबीन हरदा, मध्य प्रदेश का एक कृषि प्रधान जिला है, जहां खेती-बाड़ी ही ग्रामीणों का मुख्य आजीविका का साधन है। यहां के किसानों की मेहनत से सोयाबीन जैसी फसलें उगाई जाती हैं, जो उनकी आय का प्रमुख स्रोत होती हैं। लेकिन इस बार किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल रहा। जिले के किसान अपनी सोयाबीन को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचना चाहते हैं, लेकिन सरकार की ओर से जारी किए गए आदेशों के बावजूद, हरदा में सोयाबीन की खरीद MSP पर नहीं की जा रही है। इस समस्या से परेशान किसान मंगलवार को अनोखे तरीके से विरोध जताने कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने सोयाबीन की बोरियों को व्हीलचेयर पर रखकर कलेक्टर से मिलने का तरीका अपनाया, ताकि उनकी आवाज सुनी जाए और उन्हें जल्द राहत मिले।

MSP पर सोयाबीन न खरीदे जाने से किसानों में नाराजगी

किसानों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने 25 अक्टूबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सोयाबीन की खरीद का आदेश दिया था। यह आदेश किसानों के लिए राहत की खबर थी, क्योंकि MSP पर खरीदी से उन्हें उनकी फसल का उचित दाम मिल सकता था। लेकिन हरदा जिले में स्थित सहकारी सोसायटीज़ में अब तक MSP पर सोयाबीन की खरीद शुरू नहीं की गई है। इसके चलते किसान अपनी फसल मंडियों में बेचने पर मजबूर हैं, जहां उन्हें MSP से 1500 रुपये कम दाम मिल रहे हैं।

हरदा के किसानों ने बताया कि सोयाबीन की बिक्री से मिलने वाली राशि उन्हें गेहूं की बुआई के लिए जरूरी है। उन्हें खाद, बीज और अन्य कृषि सामग्री खरीदनी होती है। लेकिन MSP पर सोयाबीन की खरीदी में देरी हो रही है, जिससे उनकी समस्याएं बढ़ गई हैं। इससे आर्थिक दबाव में आकर कई किसानों ने मंडी में अपनी उपज को सस्ते दाम पर बेचने का निर्णय लिया है, जो उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।

व्हीलचेयर पर सोयाबीन लेकर पहुंचे किसान, जताई नाराजगी

हरदा के किसानों ने अपनी समस्याओं को अनोखे तरीके से सामने रखा। वे सोयाबीन की बोरियों को व्हीलचेयर पर रखकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और इस पर सलाइन वॉटर लगाकर इसका प्रतीकात्मक इलाज करने का संदेश दिया। किसानों का कहना है कि सोयाबीन की हालत गंभीर है और MSP पर खरीद न होने की स्थिति में यह आर्थिक रूप से खत्म हो जाएगी। इसी वजह से इसे इलाज की जरूरत है, ताकि इसे बाजार में सही दाम मिल सके।

किसानों ने यह भी कहा कि उनके पास बहुत से मुद्दे हैं, जिनके समाधान की आवश्यकता है। उन्होंने समय पर डीएपी खाद, नहरों में पानी की उपलब्धता और पर्याप्त बिजली का इंतजाम करने की मांग की। किसानों ने कलेक्टर से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उन्हें खेती के लिए जरूरी सभी संसाधन आसानी से मिल सकें।

खाद की किल्लत से जूझते किसान

हरदा के किसानों का कहना है कि खाद की उपलब्धता भी एक बड़ी समस्या बन गई है। उन्हें खाद के लिए 4-4 दिनों तक लाइनों में खड़ा रहना पड़ता है, तब कहीं जाकर उन्हें 4-5 बोरी खाद मिल पाती है। यह स्थिति किसानों के लिए बेहद कष्टकारी है, क्योंकि खाद के बिना उनकी फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। किसानों ने मांग की कि सोसायटी के माध्यम से उन्हें समय पर खाद उपलब्ध कराई जाए ताकि उन्हें खाद के लिए बार-बार लाइनों में न लगना पड़े।

बिजली की समस्याएं और सिंचाई की मुश्किलें

बिजली की अनुपलब्धता और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी न मिलना भी किसानों के सामने बड़ी चुनौती बन चुका है। गांवों के बिजली सब-स्टेशनों पर ऑपरेटरों की कमी के कारण कई बार बिजली की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे फसलों की सिंचाई समय पर नहीं हो पाती। किसानों का कहना है कि बिजली की समस्या के चलते उनकी फसलें सूखने लगती हैं, जिससे उनका उत्पादन भी प्रभावित होता है। उन्होंने प्रशासन से इस समस्या को जल्द से जल्द हल करने की मांग की है, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का फल सही समय पर मिल सके।

किसानों की चेतावनी – आंदोलन को तैयार रहें प्रशासन

किसानों की ओर से बसंत सारण ने कहा कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन को किसानों की मांगों पर ध्यान देना होगा अन्यथा किसान लाठी लेकर सड़क पर उतरेंगे। बसंत सारण ने कहा कि अगर प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो किसानों का गुस्सा उग्र आंदोलन का रूप ले सकता है। इस चेतावनी से साफ है कि हरदा के किसान अपनी मांगों को लेकर काफी गंभीर हैं और वे प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

MSP की अहमियत और सोयाबीन की उपज

हरदा के किसानों के लिए MSP पर फसल की बिक्री आर्थिक स्थिरता का एक जरिया है। MSP किसानों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है, जिससे उन्हें फसल के उचित दाम मिलते हैं। सोयाबीन की फसल में इस साल कई किसानों ने अपना निवेश किया है, और वे इसे MSP पर बेचकर अपनी लागत निकालना चाहते हैं। लेकिन MSP पर खरीदी न होने की स्थिति में वे मंडी में फसल बेचने को मजबूर हो रहे हैं। यह कदम किसानों की आय में भारी कमी ला रहा है और उनका विश्वास टूटता हुआ महसूस हो रहा है।

नहरों में पानी की कमी से सिंचाई प्रभावित

हरदा के किसानों ने प्रशासन से सिंचाई के लिए नहरों में पानी की उपलब्धता बढ़ाने की भी मांग की है। उनका कहना है कि नहरों में पर्याप्त पानी न होने के कारण उनकी फसलें सूखने की कगार पर पहुंच रही हैं। किसान चाहते हैं कि सरकार सिंचाई के लिए आवश्यक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करे ताकि उनकी फसलें ठीक से विकसित हो सकें।

किसानों के सामने अन्य चुनौतियां

किसानों के लिए MSP पर सोयाबीन की खरीद एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इसके अलावा भी कई समस्याएं हैं जिनसे वे जूझ रहे हैं। उन्हें खाद और बिजली की कमी के कारण फसल की उत्पादन क्षमता पर असर पड़ रहा है। किसानों का मानना है कि इन समस्याओं का समाधान किए बिना उनकी आजीविका पर संकट बना रहेगा। अगर प्रशासन इन समस्याओं का समाधान करता है तो किसान अपनी फसलों से बेहतर लाभ कमा सकते हैं, जो कि उनके जीवन स्तर को सुधारने में मददगार साबित होगा।

प्रशासन की जिम्मेदारी

किसानों की समस्याओं को हल करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है। कृषि प्रधान देश होने के नाते भारत में किसानों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है। अगर समय पर किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो उनका असंतोष बड़ा संकट बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वे किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लें और उनके समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएं।

हरदा के किसानों का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि उन्हें अपनी मेहनत का सही मूल्य चाहिए। किसानों की कड़ी मेहनत के बावजूद अगर उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलेगा, तो उनकी स्थिति और खराब हो सकती है। MSP पर सोयाबीन की खरीद और समय पर संसाधनों की उपलब्धता उनकी जरूरतें हैं, जिनके बिना उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार मुश्किल है। हरदा के किसानों ने अपने संघर्ष को व्हीलचेयर पर सोयाबीन रखकर एक प्रतीकात्मक रूप में पेश किया है, जिससे उनकी समस्याओं की गंभीरता को समझा जा सके। उम्मीद है कि प्रशासन इस पर शीघ्रता से ध्यान देगा और उनके लिए आवश्यक राहत प्रदान करेगा।

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