गेहूं की पहली सिंचाई से पहले जान लें ये जरूरी बातें, फसल पर असर देख मान लोगे गुरुमंत्र

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गेहूं की फसल की पहली सिंचाई बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह पौधे की जड़ों के विकास और उत्पादन की शुरुआत करती है। अगर सही समय पर पहली सिंचाई नहीं की जाए, तो पौधों की जड़ें कमजोर रह जाती हैं और उत्पादन कम हो जाता है। पौधे की वृद्धि रुक जाती है, जिससे बालियां कम बनती हैं और अनाज भी कम मिलता है। इसलिए पहली सिंचाई समय पर और सही तरीके से करना जरूरी है।

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सीआरआई स्टेज और इसका महत्व

क्या आप जानते हैं कि सीआरआई स्टेज क्या होती है? यह गेहूं की बुवाई के 20-25 दिन बाद आती है। इस समय पौधे की जड़ें गहराई तक जाती हैं और अंकुरण शुरू होता है। इस स्टेज पर पौधों को सबसे ज्यादा पानी और पोषक तत्वों की जरूरत होती है। अगर इसे समय पर न दिया जाए, तो पौधे की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस स्टेज पर हल्की सिंचाई और उर्वरकों का सही उपयोग जरूरी है।

गेहूं की फसल में सिंचाई का सही तरीका

पहली सिंचाई हल्के पानी से करनी चाहिए। जब तक पौधे की जड़ें पूरी तरह से विकसित न हों, गहरी सिंचाई से बचें। गहरी सिंचाई से ऑक्सीजन जड़ों तक नहीं पहुंचती और पौधा पीला पड़ने लगता है। हल्की सिंचाई से पौधों को पोषक तत्व सही मात्रा में मिलते हैं।

गेहूं की फसल में खाद का उपयोग

पहली सिंचाई के समय अगर फॉस्फोरस और पोटैशियम नहीं दिया है, तो इसे यूरिया, डीएपी और एमओपी के सही अनुपात में डालें। फॉस्फोरस जड़ों को मजबूत करता है, जबकि पोटैशियम पौधे में एंजाइम गतिविधि बढ़ाने और नाइट्रोजन के प्रभाव को बेहतर बनाने में मदद करता है।

खाद को जड़ों तक पहुंचाने का सही तरीका

पहली सिंचाई के समय सही तरीके से खाद डालने से यह जड़ों तक पहुंचता है। इससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और अच्छी बालियां बनती हैं।

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गेहूं की फसल में सिंचाई की सही मात्रा

पहली सिंचाई के समय पानी को ज्यादा गहरा न जाने दें। गहरे पानी से खाद जड़ों तक नहीं पहुंच पाता और ऑक्सीजन की कमी से पौधों को नुकसान होता है। हल्की सिंचाई से पौधे का विकास सही होता है और उत्पादन बढ़ता है।

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