Mp News: उमरिया के सरकारी स्कूल में शराबी शिक्षक की करतूत, शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

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Mp News: उमरिया के सरकारी स्कूल में शराबी शिक्षक की करतूत, शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

उमरिया, मध्य प्रदेश का एक जिला, जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक शर्मनाक घटना के कारण सुर्खियों में है। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि हमारे समाज में शिक्षकों की भूमिका पर भी गहन विचार करने के लिए मजबूर करती है।

शिक्षक की करतूत

जिला मुख्यालय के नजदीक ग्राम पंचायत गिंजरी के शासकीय प्राथमिकशाला गिंजरी में एक शिक्षक, उमेलाला बैगा, द्वारा गुरु जैसे सम्मानित पद को शर्मसार करने की घटना सामने आई है। उमेलाला बैगा पर आरोप है कि वह प्रतिदिन शराब के नशे में धुत होकर विद्यालय आता है और छात्रों को पढ़ाता है। यह घटना ना केवल शिक्षक के कर्तव्यों के प्रति लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।

शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य

शिक्षा का उद्देश्य केवल अकादमिक ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि यह छात्रों के व्यक्तित्व का निर्माण करने और उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाने का भी काम करती है। शिक्षक इस प्रक्रिया में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। जब शिक्षक खुद ही अपने कर्तव्यों को भुला बैठें, तो यह पूरे शिक्षा तंत्र के लिए चिंता का विषय बन जाता है।

शराबी शिक्षक की करतूत

शिक्षक उमेलाला बैगा पर आरोप है कि वह शराब पीकर स्कूल आता है और कक्षा में ही शराब की बोतल रखकर पीता है। यह व्यवहार न केवल अशोभनीय है, बल्कि छात्रों के लिए एक गलत उदाहरण भी पेश करता है। जब छात्रों को ऐसे शिक्षक के अधीन शिक्षा प्राप्त करनी पड़ती है, तो उनके मानसिक और शैक्षणिक विकास पर इसका गहरा असर पड़ता है।

छात्रों पर प्रभाव

छात्रों के अनुसार, उन्हें अपने शिक्षक से डर लगता है और वे उनकी इस आदत से परेशान हैं। एक शिक्षक के प्रति छात्रों का सम्मान और विश्वास महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जब शिक्षक अपने आदर्शों से भटक जाएं, तो यह छात्रों के लिए एक दुविधाजनक स्थिति बन जाती है। इस घटना के कारण छात्रों ने अपने शिक्षक के प्रति नकारात्मक छवि बना ली है, जो उनकी शिक्षा के लिए हानिकारक है।

शराबी शिक्षक की करतूत पर प्रशासन की कार्रवाई

इस घटना के प्रकाश में आने के बाद, उमरिया जिला शिक्षा अधिकारी ने तत्काल प्रभाव से शिक्षक उमेलाला बैगा को निलंबित कर दिया है। अधिकारी ने यह भी कहा कि उमेलाला बैगा का यह कृत्य म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 की कंण्डिका 03 के विरुद्ध है और कदाचरण की श्रेणी में आता है। प्रशासन की यह कार्रवाई निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।

शिक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

इस घटना ने मध्य प्रदेश की निशुल्क शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार द्वारा निशुल्क शिक्षा का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना है। लेकिन जब शिक्षा का माध्यम ही भ्रष्ट हो जाए, तो यह व्यवस्था अपने मूल उद्देश्य से भटक जाती है।

शिक्षक की भूमिका और जिम्मेदारी

शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं। वे न केवल बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि उनके नैतिक और सामाजिक मूल्यों का निर्माण भी करते हैं। एक शिक्षक का आचरण छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत होता है। इसलिए, शिक्षकों का आचरण नैतिकता और आदर्शों से परिपूर्ण होना चाहिए।

सुधार की दिशा में कदम

इस घटना से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। कुछ कदम जो इस दिशा में उठाए जा सकते हैं:

  1. शिक्षकों की नियमित मॉनिटरिंग: शिक्षकों के व्यवहार और शिक्षण के तरीके की नियमित जांच होनी चाहिए ताकि किसी भी तरह की अनुचित गतिविधि को समय रहते रोका जा सके।
  2. शिक्षकों का प्रशिक्षण: शिक्षकों को नैतिक और सामाजिक मूल्यों का प्रशिक्षण देना आवश्यक है ताकि वे छात्रों के लिए आदर्श बन सकें।
  3. छात्रों की शिकायतों को सुनना: छात्रों को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से सुना जाएगा और उन पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
  4. समाज की भूमिका: समाज के लोगों को भी शिक्षा व्यवस्था में अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और किसी भी तरह की अनुचित गतिविधि की रिपोर्टिंग करनी होगी।
  5. माता-पिता की भागीदारी: माता-पिता को स्कूल की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए ताकि वे अपने बच्चों की शिक्षा पर नजर रख सकें।

उमरिया के इस सरकारी स्कूल की घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में कहां कमी रह गई है। यह हमारे समाज और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी है कि अगर हम अपने भविष्य के निर्माता बच्चों को एक स्वस्थ और सुरक्षित शैक्षणिक वातावरण नहीं देंगे, तो हमारा भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों और हमारी शिक्षा व्यवस्था छात्रों के लिए प्रेरणादायक और सुरक्षित बने। शिक्षा वह प्रकाश है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है, और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस प्रकाश को कभी भी धुंधला न होने दें।

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